बीपीएससी परीक्षा विवाद के चलते बिहार में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किए। जानें, सरकार और विपक्ष का रुख, छात्रों की मुख्य मांगें और आगामी परीक्षा की योजना।
- 70वीं बीपीएससी परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप
- छात्रों की पुनर्परीक्षा की मांग
- विपक्षी दलों का समर्थन
- सरकार द्वारा परीक्षा रद्द करने से इनकार
- प्रशांत किशोर का अनशन
प्रस्तावना
बिहार में बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) की परीक्षा में अनियमितताओं और अन्य विवादित मुद्दों को लेकर छात्रों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। शुक्रवार को छात्रों ने रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन करते हुए परीक्षण रद्द करने की मांग की।
विवाद और प्रदर्शन की शुरुआत
70वीं बीपीएससी परीक्षा के आयोजन में कथित अनियमितताओं और विवादित प्रश्नों के चलते, जन अधिकार पार्टी (जाप) के युवा कार्यकर्ताओं ने मोतिहारी के बापूधाम रेलवे स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा में पारदर्शिता की कमी और गड़बड़ियों के कारण कई मेधावी छात्रों का भविष्य खतरे में है।
राजनीतिक दबाव और तनाव
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को गले लगाते हुए सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। जन अधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव और उनके समर्थकों ने पुनः परीक्षा की मांग को लेकर पटना, अररिया, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर सहित राज्य के अन्य हिस्सों में भी प्रदर्शन किए। सांसद पप्पू यादव का कहना है, ‘जब तक छात्रों को न्याय नहीं मिलेगा, आंदोलन जारी रहेगा।’
छात्रों की मांगें
प्रदर्शनकारी छात्रों और नेताओं की मुख्य मांगें हैं कि परीक्षा को रद्द कर पुनः आयोजित किया जाए, परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। छात्र नेता आकाश कुमार सिंह ने आंदोलन को जारी रखने की बात कही और छात्रों के हित में संघर्ष करने की प्रतिबद्धता जताई।
सरकारी प्रतिक्रिया और अगली परीक्षा की योजना
सरकार ने परीक्षा रद्द करने से इनकार कर दिया है, यह कहते हुए कि यह संभव नहीं है। हालांकि, बीपीएससी ने 4 जनवरी को पुनः परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया है। जिला प्रशासन ने परीक्षा को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम भी किए गए हैं।
समस्या का समाधान: राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मामले पर छात्रों की शिकायतें सुनने की मांग की जा रही है। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी इस मामले में छात्रों का समर्थन करते हुए गांधी मैदान में अनशन शुरू किया है। प्रशासन ने इसे ‘अवैध’ करार दिया है, लेकिन किशोर ने अपने कदम पीछे लेने से इनकार कर दिया है।
निष्कर्ष
बीपीएससी परीक्षा विवाद से उत्पन्न तनाव ने न केवल छात्रों बल्कि पूरे राज्य को प्रभावित किया है। सरकार और प्रशासन के सामने यह चुनौती है कि वे इस मुद्दे को सकारात्मक और निर्णायक तरीके से सुलझाएं, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहे।