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प्रशांत किशोर का अनशन और नीतीश कुमार की राजनीति: बिहार में चुनाव से पहले सियासी सरगर्मियां तेज

बिहार में चुनावी माहौल गरमाता जा रहा है। प्रशांत किशोर ने अनशन शुरू किया। नीतीश कुमार पर तीखे हमले करते हुए कहा, ‘पिछले 10 साल से बिहार में किसी की सुनवाई नहीं हो रही।’

प्रस्तावना

बिहार में चुनावी माहौल गरमाता जा रहा है। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के छात्रों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के समर्थन में प्रशांत किशोर ने भी अनशन शुरू कर दिया है। विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आते ही सियासी उठापटक बढ़ रही है जिसमें नीतीश कुमार का अहम स्थान है।

मुख्य जानकारी

प्रशांत किशोर ने पटना में BPSC छात्रों के समर्थन में अनशन शुरू कर दिया है। उन्होंने नीतीश कुमार पर तीखे हमले करते हुए कहा, ‘पिछले 10 साल से बिहार में किसी की सुनवाई नहीं हो रही। सत्ता के अहंकार में नीतीश कुमार की बुद्धि मर गई है।’ उन्होंने आगे कहा कि नीतीश कुमार ने 2020 के विधानसभा चुनाव में जनता से मिले सबक को अभी तक नहीं समझा है।

प्रशांत किशोर का आरोप

प्रशांत किशोर का कहना है कि नीतीश कुमार अब ‘बादशाह’ बनकर घूम रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘बीपीएससी अभ्यर्थियों के ऊपर लाठी का चोट तो 5 दिन में ठीक हो जाएगा, लेकिन नीतीश कुमार को जब वोट की चोट लगेगी, तो वह कम से कम 5 साल रहेगी। इस बार नीतीश कुमार की राजनीति का खात्मा तय है।’ उन्होंने नीतीश कुमार पर सत्ता का अहंकार दिखाने का भी आरोप लगाया।

नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हालिया राजनीतिक घटनाक्रम के बीच चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने लालू यादव के इंडिया गठबंधन में शामिल होने के ऑफर पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। नीतीश की इस चुप्पी को लेकर राजनीतिक गलियारे में कई अटकलें लगाई जा रही हैं। जेडीयू नेता ललन सिंह ने कहा, ‘नीतीश कुमार एनडीए में हैं और वहीं रहेंगे।’

आरजेडी और तेजस्वी यादव का रुख

आरजेडी के भीतर भी मतभेद उभरकर सामने आ रहे हैं। लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन में शामिल होने का ऑफर दिया था, जबकि उनके बेटे तेजस्वी ने नीतीश को सत्ता से बेदखल करने का दावा किया है। तेजस्वी का कहना है कि उन्होंने यह बयान केवल मीडिया को शांत करने के लिए दिया था।

निष्कर्ष

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सियासी सरगर्मी अपने चरम पर है। नीतीश कुमार का भविष्य क्या होगा और प्रशांत किशोर का अनशन किस परिणाम तक पहुँचता है, यह देखना दिलचस्प होगा। विधानसभा चुनाव के नतीजे ही तय करेंगे कि बिहार की जनता किसे सत्ता की चाबी सौंपेगी।

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