बिहार सरकार ने भूमि सुधार के लिए ‘परिमार्जन प्लस’ पोर्टल किया शुरू

बिहार सरकार ने भूमि सुधार के लिए ‘परिमार्जन प्लस’ पोर्टल लॉन्च किया। जानें कैसे यह पोर्टल संपत्ति त्रुटियों को सुलझाने में मदद करेगा।
- ‘परिमार्जन प्लस’ पोर्टल का उद्घाटन
- जमाबंदी त्रुटियों का ऑनलाइन सुधार
- भूमि सर्वे के लिए कागजात जमा करने की अवधि विधियाँ
- ऑनलाइन आवेदन और मापी प्रक्रिया
- सरकारी भूमि और कानूनी मामलों की मापी
परिचय
बिहार सरकार ने भूमि स्वामियों के राहत के लिए ‘परिमार्जन प्लस’ पोर्टल का उद्घाटन किया है। इस पोर्टल का उद्देश्य जमाबंदी (Bihar Jamin Jamabandi) में मौजूद त्रुटियों को सुधारना है जिससे जमीन मालिक अपने कागजात को आसानी से समायोजित कर सकते हैं।
मुख्य विवरण
इस पोर्टल के माध्यम से रैयत अपने नाम, पिता का नाम, जाति, पता आदि में त्रुटियों को ऑनलाइन सुधार सकते हैं। बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इसे सरल और सुलभ बनाया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने निर्देश दिए हैं कि इस पोर्टल को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए विज्ञापन देने का निर्णय लिया गया है।
जमाबंदी और भूमि सर्वे
भूमि सर्वे के काम को तेजी से पूरा करने के लिए भूमि मालिकों को अपने कागजात एवं स्वघोषणा पत्र देने की अवधि 180 कार्य दिवस कर दी गई है। मानचित्र सत्यापन की अवधि 90 दिन, आक्षेप प्राप्ति की अवधि 60 दिन और अधिकार अभिलेख के अंतिम प्रकाशन पर दावा दायर करने की अवधि 90 दिन निर्धारित की गई है।
ऑनलाइन आवेदन और मापी प्रक्रिया
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने निर्देश दिया है कि बिना जमाबंदी के भी जमीन की मापी की जा सके। जमीन मालिक अब ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। यदि किसी कारणवश म्यूटेशन नहीं हुआ है, तब भी वे आवेदन दे सकते हैं। ऑनलाइन आवेदन की फीज का भुगतान समय पर करना आवश्यक है, अन्यथा आवेदन निरस्त किया जा सकता है।
सरकारी भूमि और कानूनी मामलों की मापी
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि ई-मापी पोर्टल को भू-अभिलेख पोर्टल से जोड़ा जाएगा और सरकारी भूमि के मापी के संबंध में प्रावधान जोड़े जाएंगे। इससे रैयतों और सरकारी अधिकारियों को सही मापी रिपोर्ट प्राप्त करने में सहूलियत होगी।
निष्कर्ष
बिहार में भूमि सुधार के इस प्रयास से रैयतों और अन्य भूमि स्वामियों को काफी राहत मिलेगी। ‘परिमार्जन प्लस’ पोर्टल का उपयोग करते हुए जमीन से संबंधित समस्याओं का समाधान ऑनलाइन और सुलभ तरीके से हो सकेगा।
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