भारत और मालदीव के बीच मजबूत होते रक्षा संबंध

भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून की भारत यात्रा। जानें पूरी जानकारी।

  • मालदीव के रक्षा मंत्री की तीन दिवसीय भारत यात्रा
  • रक्षा सहयोग, प्रशिक्षण और अभ्यास पर चर्चा
  • भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति के तहत सहयोग
  • उच्च स्तरीय चर्चाएँ और समझौते

परिचय

भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को मजबूती देने के उद्देश्य से मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून आठ जनवरी से तीन दिवसीय भारत यात्रा पर आ रहे हैं। इस दौरान वे नई दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भेंट करेंगे और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

मुख्य विवरण

रक्षा मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मौमून की यह बैठक अगले सप्ताह होगी। इसमें दोनों मंत्री मालदीव के राष्ट्रीय रक्षा बलों की क्षमता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण, अभ्यास, रक्षा परियोजनाओं और उपकरणों की आपूर्ति पर विचार-विमर्श करेंगे।

भारत-मालदीव के संबंधों में हालिया तनाव

हाल ही में, मालदीव में चुनाव के बाद नई सरकार के आने से दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव आ गया था। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत से अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने के लिए कहा था, जिससे दोनों देशों के संबंधों में खटास आ गई थी।

भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति

हालांकि, अक्तूबर में दिल्ली यात्रा के दौरान मुइज्जू ने द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की कसम खाई थी। मालदीव भारत का प्रमुख समुद्री पड़ोसी है और भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति और ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के तहत एक महत्वपूर्ण साझेदार है।

उच्च स्तरीय चर्चाएँ और समझौते

इसके साथ ही, मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने हाल ही में अपनी पहली आधिकारिक भारत यात्रा पूरी की। इस यात्रा में उच्च स्तरीय चर्चाएँ और विकास सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर शामिल थे, जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण साबित हुए हैं।

निष्कर्ष

यह यात्रा भारत और मालदीव के बीच सुरक्षा और विकास के दृष्टिकोण को मजबूती देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और बढ़ने की उम्मीद है, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि बनी रहेगी।

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