बिहार शिक्षा विभाग की कड़ी कार्रवाई: लापरवाही पर 94 प्रधानाध्यापकों का वेतन कटा

बिहार शिक्षा विभाग ने 94 प्रधानाध्यापकों का वेतन काटा है, जो अपार आइडी बनाने में लापरवाही बरतने के आरोपी थे। जानिए पूरी खबर।

  • शिक्षा विभाग ने 94 प्रधानाध्यापकों का वेतन काटा।
  • अपार आइडी बनाने में लापरवाही को लेकर कार्रवाई।
  • यू-डायस पोर्टल पर प्रोफाइल इंट्री में देरी पर वेतन स्थगित।
  • मध्याह्न भोजन योजना का फोन कॉल न उठाने पर 51 हेडमास्टर का वेतन कटा।
  • शिक्षा विभाग का कठोर कदम, अन्य शिक्षकों के लिए सख्त संदेश।

परिचय

बिहार शिक्षा विभाग ने राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने के अपने प्रयासों के तहत एक बड़ी कार्रवाई की है। गोपालगंज जिले के 94 प्रधानाध्यापकों का एक सप्ताह का वेतन कटने का आदेश जारी किया है। यह कार्रवाई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सभी छात्र-छात्राओं के लिए 12 अंकों वाली अपार आइडी (स्वचालित स्थायी शैक्षणिक खाता पंजी) बनाने में लापरवाही बरतने के कारण की गई है।

लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई

बिहार शिक्षा विभाग ने सरकारी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को पहले ही अपार आइडी बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन समय निर्धारित समय सीमा और 72 घंटे के अतिरिक्त समय देने के बावजूद काम पूरा नहीं हुआ। इसके बाद विभाग ने दो दिनों के अंदर अपार आइडी बनाने का कार्य शुरू करने का सख्त निर्देश दिया है।

यू-डायस पोर्टल पर प्रोफाइल इंट्री की स्थिति

यू-डायस पोर्टल पर स्टूडेंट प्रोफाइल इंट्री में लापरवाही बरतने वाले 100 प्रधानाध्यापकों का वेतन स्थगित कर दिया गया है। शिक्षा विभाग ने पहले ही समय के भीतर कार्य पूर्ण करने का निर्देश दिया था लेकिन इसके बावजूद, समय सीमा के बाद भी कार्य पूरा नहीं हुआ। बीईओ ने अब 24 घंटे के अंदर कार्य पूर्ण करने का निर्देश दिया है और विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी है।

मध्याह्न भोजन योजना का फोन कॉल नहीं उठाने पर कार्रवाई

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने गोपालगंज के 51 हेडमास्टर पर बड़ी कार्रवाई की है। इनके एक महीने का वेतन काटने का आदेश जारी किया है। विभागीय पत्र के अनुसार, इन हेडमास्टरों ने एक नवंबर 2023 से 31 जनवरी 2024 तक मध्याह्न भोजन योजना के आईवीआरएस वाले फोन कॉल का जवाब नहीं दिया था। इस पर निदेशक ने 6 अप्रैल को पत्र जारी कर वेतन बंद करने और स्पष्टीकरण मांगा था।

निष्कर्ष

बिहार शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि वे राज्य में शिक्षा सुधारने और अनुशासन बनाए रखने के लिए किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस कदम से अन्य अधिकारियों और शिक्षकों के लिए भी स्पष्ट संदेश गया है कि समय पर कार्य नहीं करने पर कठोर परिणाम भुगतने होंगे।

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