प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी: पटना में छात्रों के प्रदर्शन और पुलिस कार्रवाई की कहानी

प्रशांत किशोर को पटना के गांधी मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के दौरान गिरफ्तार किया गया। जानें इस घटना के पीछे की कहानी और इसकी राजनीतिक प्रभाव।

  • प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी गांधी मैदान से हुई।
  • पुलिस और समर्थकों के बीच झड़प की घटना।
  • 7 जनवरी को हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की योजना।

परिचय

जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर को आज सुबह पटना के गांधी मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करने के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया। यह घटना तब घटी जब वे बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा में कथित गड़बड़ी का विरोध कर रहे थे।

मुख्य विवरण

पुलिस ने दावा किया कि किशोर और उनके समर्थकों को एक प्रतिबंधित क्षेत्र के पास ‘गैरकानूनी’ तरीके से प्रदर्शन करने के कारण हटाया गया था। पटना जिला मजिस्ट्रेट चंद्रशेखर सिंह ने पीटीआई को बताया, “बार-बार अनुरोध करने के बावजूद वे स्थान नहीं छोड़ रहे थे। उन्हें जिला प्रशासन द्वारा विरोध स्थल को बदलने की सूचना दी गई थी।”

प्रशांत किशोर की भूख हड़ताल

प्रशांत किशोर ने 2 जनवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी, जिसमें उन्होंने BPSC परीक्षा के रद्दीकरण की मांग की थी। उन्होंने कहा कि यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती। किशोर की पार्टी, जन सुराज, अगले विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है और छात्रों के समर्थन पर निर्भर है।

पुलिस और समर्थकों के बीच झड़प

किशोर की गिरफ्तारी के बाद गांधी मैदान के पास पुलिस और किशोर के समर्थकों के बीच झड़प हो गई। समर्थकों ने सरकार पर उनका मौन बंद कर उनके आंदोलन को दबाने का आरोप लगाया। समर्थकों ने कहा, “प्रशांत किशोर बिहार के छात्रों की आवाज उठा रहे थे, और सरकार इस एकता से डर गई है।”

भविष्य की योजनाएँ

किशोर ने कहा कि उनकी पार्टी 7 जनवरी को हाई कोर्ट में बीपीएससी अनियमितताओं के खिलाफ याचिका दायर करेगी। उन्होंने यह भी उद्धृत किया कि वे अपनी आंदोलन की योजना में कोई बदलाव नहीं करेंगे।

निष्कर्ष

प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी ने बिहार में राजनीतिक हलचल मचा दी है। एक तरफ उनकी पार्टी छात्रों के समर्थन में खड़ी है, तो दूसरी तरफ प्रशासन इस विरोध को रोकने में लगा हुआ है। अब देखना होगा कि हाई कोर्ट का इस मुद्दे पर क्या निर्णय रहता है और इसका बिहार की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।

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